Friday, April 18, 2008

tu ek khayal hai

My attempt here is not as much to rhyme as to let silences and word gaps be as big a part of the poem as the words itself.


मैं तुझे भूला नही हूँ,

हाँ,
कुछ अरसा हुआ तेरा नाम लिए,
न लेने का वादा जो किया है ख़ुद से,
ये वादा भी..
की
तेरी हस्ती बस एक एहसास है,
तेरी बातें बस आवाज हैं,
तेरे वादे बस अल्फाज़ हैं,
तू तू नही ,
महज ख्वाब है, मेरा ख्याल है,

पर
मैं तुझे भूला नहीं हूँ,

अब जब तू सिर्फ़ एक ख्याल है
और कुछ भी नही,
कभी कभार तुझे सोच लेता हूँ,

कभी तेरे संग गुजारे एक दो लम्हे भी
चुभते हैं...
बर्फ से,
तो कुछ टुकड़े उठा कर,
सागर में मिला पी लेता हूँ,
तेरे खुमार में फ़िर दो पल जी लेता हूँ

(अल्फाज़ - words , सागर - wine cup , खुमार - intoxication)

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