Tuesday, November 06, 2007

suna hai ki

In loving memory of a friend who will be missed.

सुना है कि मौत के हमसफ़र बन चले हो तुम,
हमको खुदा के वास्ते रुसवा कर चले हो तुम

भागते रहे हैं हम पर अब भी हैं दौड़ में,
और तेज़ रफ्तार से आगे निकल चुके हो तुम

ऐसी दुनिया कि जीने को हैं सब मर रहे,
ऐसा दिल कि मर के जी रहे हो तुम

हो या न हो रोज़-ए-क़यामत या जन्नत-ओ-जहन्नुम ,
है तो बस ये बात कि कभी तो मिले हो तुम

रो तो सकते हैं पर अब भी याद है
कि निगाहों से नही जाम से छलकाते रहे हो तुम

गर नही दीवानगी तो और क्या है 'अभी'
इक शोख सांस से उम्मीदें रखे हो तुम


Atul Sharma, may you have as much fun in afterlife as you had in this life.

Powered By Blogger