Monday, December 01, 2008

क्या कहूँ?

मैं तुम्हे नही जानता हूँ,
तुम जो अपने ही खून में डूब रहे हो ,
तुम जो गिरते हुए भी किसी अपने को ढूंढ रहे हो,
तुम जो थोडी देर में चुप हो जाओगे,

मैं तुमसे बहुत दूर हूँ,
अपनों का फ़ोन कर चैन की साँस ले रहा हूँ,
और ये भी सोच रहा हूँ की 'तुम' मैं भी हो सकता था,
अभी अभी मेरे सपने भी मेरे साथ खामोश हो रहे होते,

तुम्हारी आंखों में मैं ख़ुद को मरते हुए देख सकता हूँ,
तुम्हारे साथ मैं भी अपनों को खोज रहा हूँ,
और थोडी देर में तुम्हारे साथ मेरे कुछ ख्वाब भी मर जाएंगे...
हमेशा के लिए
शायद मैं तुम्हे बहुत करीब से जानता हूँ

I bleed slowly along with the city that has provided my hopes and dreams.
It gave me music and lyrics.It gave me sports and stories.
It gave me my Identity and my culture.
I die too some.
May our death make it a safer India for our children.

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