Sunday, March 16, 2008

Ya lagaa mat ilzaam

या लगा मत इल्जाम

या लगा मत इल्जाम की बेमुरव्वत हो गए,
या देख जान-ओ-तन से जुदा दिल जिगर हो गए,

धड़कता है बजाये दिल के, दर्द सीने में,
अब जानलेवा नासूर चारा-ओ-मरहम हो गए

आहिस्ता आहिस्ता उतारा तुमने जिगर में खंजर,
आहिस्ता आहिस्ता लहू के कतरे ग़ज़ल हो गए

तुझे महफिल में देख आंखें फेर लेते हैं,
ऐसे हुए रूसवा सनम, तुझसे हम हो गए,

तेरे दिलकश होंट, नर्म बाहें, गुदाज़ बदन
हुए हम जो जवान तुम भी तो हसीं हो गए,

तुमने भी था सोचा बदलोगे जमाने को,
'अभी' तुम्हारे बुलंद इरादे क्या हो गए?
- अभी
(बेमुरव्वत - Lacking Involvement, चारा--मरहम - cure and ointment, गुदाज़ - well mixed)
as usual comments are open :)

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